बर्गर बेचकर बनाया 100 करोड़ की कंपनी |Burger singh raised ₹30 crore funding
burger singh raised ₹30 crore funding | कबीर जीत सिंह को ‘बर्गर सिंह’ भी कहा जाता है. भारत से लेकर ब्रिटेन तक अपने इस अनोखे नाम को लेकर फेमस हैं. ‘बर्गर सिंह’ वास्तव में उनके एक रेस्टोरेंट का नाम है. उनके इस ब्रांड की कहानी ब्रिटेन से शुरू होती है. अब ये भारत समेत दुनिया के कई और देशों में अपने ब्रांड का जलवा बिखेर रहे हैं.
साल 2014 में गुरुग्राम के 98 स्क्वायर फीट के आउटलेट से बर्गर सिंह की शुरुआत की गई. कॉर्पोरेट वर्ल्ड में कुछ दिन काम करने के बाद कबीरजीत सिंह ने इंग्लैंड की बर्मिघम यूनिवर्सिटी से एमबीए करने का फैसला किया. बर्गर सिंह का ध्यान बेहतरीन स्वाद प्रदान करने, शाकाहारी विकल्प पेश करने और कीमतों को किफायती रखने पर था – तीन चीजें जो भारतीयों को भोजन के मामले में पसंद हैं।
Burger Singh raised ₹30 crore funding|बर्गर सिंह ने जुटाई ₹30 करोड़ की फंडिंग
घरेलू ब्रांड, बर्गर सिंह ने नेगेन कैपिटल के नेतृत्व में सीरीज ए फंडिंग राउंड में ₹30 करोड़ जुटाए हैं। राउंड में भाग लेने वाले अन्य निवेशकों में लेट्स वेंचर्स, मुंबई एंजल्स, ओल्ड वर्ल्ड हॉस्पिटैलिटी (रोहित खट्टर) के अलावा गायक और संगीतकार जसलीन रॉयल शामिल हैं।
इसमें मौजूदा निवेशकों आरबी इन्वेस्टमेंट्स, रुकम कैपिटल, केसीटी फैमिली ऑफिस और वीएम सालगांवकर फैमिली ऑफिस (गोवा) की भी भागीदारी देखी गई। कंपनी का लक्ष्य वित्त वर्ष 2023 में अतिरिक्त 120 फूड कोर्ट आउटलेट लॉन्च करने के लिए इन फंडों को तैनात करना है।
Life of Burger Singh founder | बर्गर सिंह के संस्थापक का जीवन
एक आर्मी परिवार में पैदा हुए बर्गर सिंह के संस्थापक कबीर जीत सिंह ने रेजिडेंशियल आर्मी पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की है. कबीर जीत सिंह के पिता चाहते थे कि वह भी उनकी तरह आर्मी जॉइन करें लेकिन कबीर जीत सिंह कुछ और करने के मूड में थे. कबीर जीत सिंह ने 98 वर्ग फीट के बर्गर आउटलेट से कारोबार की शुरुआत की और यह ₹100 करोड़ के कारोबार वाला मल्टीसिटी चेन बन चुका है.
बर्मिंघम से किया एमबीए | Studied MBA from Bermingham
बीबीए करने के बाद बर्गर सिंह ने यह महसूस किया कि आर्मी का कड़ा अनुशासन उनके बस का नहीं है. इसके बाद परिवार ने उनकी राह में बाधा खड़ी नहीं की और उन्हें इस बात के लिए प्रेरित किया कि वह जो करना चाहते हैं वह कर सकते हैं.
कॉर्पोरेट वर्ल्ड में कुछ दिन काम करने के बाद कबीरजीत सिंह ने इंग्लैंड की बर्मिंघम यूनिवर्सिटी से एमबीए करने का फैसला किया. कबीर जीत सिंह जब साल 2007 में बर्मिंघम बिजनेस स्कूल में एमबीए कर रहे थे तब उन्हें गुज़ारा करना मुश्किल हो रहा था. परदेस में अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए आखिर क्या-क्या नहीं करना पड़ा. सुबह की क्लास के बाद वह रात की शिफ्ट में एक बर्गर आउटलेट पर काम भी करते थे.
लेकिन तभी उन्हें लगा कि यहां के बर्गर में वो मसाले है ही नहीं, जो इंडिया के बर्गर में मिलते हैं. कबीर ऐसे रूखे सूखे बर्गर खाकर थक गए थे और एक दिन वहां के लोकल रेस्टोरेंट में उन्होंने भारतीय मसालेदार बर्गर बनाने को कहा. देखते ही देखते कबीर का कांसेप्ट हिट हो गया. कबीर को वहां रेसिपी के लिए रख लिया. इसके बाद इस रेस्टोरेंट में उनके बताए बर्गर को ‘बर्गर सिंह’ नाम दे दिया गया. ये पूरा वाकया एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के दौरान ही हुआ.
जब वे अपने ग्राहकों को Burger बना कर देते थे तो उन्हें वह बहुत पसंद आता था और उन्होंने “कबीरजीत” को बर्गर सिंह कहना शुरू कर दिया.
बर्गर सिंह का पहला आउटलेट| First outlet of Burger Singh
कुछ सालों के बाद कबीरजीत वापस भारत आए और बर्गर सिंह नाम से कारोबार शुरू कर दिया. साल 2014 में 20-30 लाख रुपए की पूंजी से शुरू हुआ . इस आउटलेट में बर्गर दिखने में आकर्षक और जायकेदार थे जो लोगों को खूब पसंद आ रहे थे.
आगे चलकर कबीर जीत सिंह ने कई मज़ेदार भारतीय स्वादों के साथ अपने बर्गर को जोड़ा, मससन – बिहारी गोश्त बर्गर, चना बर्गर, राजमा बर्गर, यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ पंजाब बर्गर वगैरह.
बर्गर सिंह का वित्तपोषण और विस्तार| Funding and expansion of Burger Singh
बर्गर सिंह नाम की कंपनी को टिपिंग मिस्टर पिंक प्राइवेट लिमिटेड नाम से रजिस्टर किया. इसके बाद कबीरजीत ने अपने एक पुराने स्कूल दोस्त नितिन राणा को अपने पास काम के लिए बुलाया. नितिन राणा साल 2003 से ही पिज्जा हट में नौकरी कर रहे थे. नितिन राणा के विशाल अनुभव का फायदा बर्गर सिंह को मिला.
बर्गर सिंह के शुरुआती स्टोर में कोई टेबल नहीं था और सिर्फ बर्गर की डिलीवरी पर फोकस किया गया.
अपने अनूठे व्यंजनों को परोसने के बाद कबीर सिंह ने इसका विस्तार करने की योजना बनाई. अधिक से अधिक ग्राहकों तक पहुंचना चाहा. उनके मुताबिक जब हमने बाजार में प्रवेश किया, तो ऐसा कोई बर्गर प्लेयर नहीं था जो जल्दी डिलीवरी दे रहा हो, क्योंकि डिलीवरी में अच्छा बर्गर नहीं मिल पाता. मैकडॉनल्ड्स जैसे बड़े आउटलेट के आगे मुकाबला करना आसान नहीं था.
साल 2015 में गुरुग्राम में तीन और आउटलेट्स खोले. इसके बाद ग्रेटर कैलाश, कनॉट प्लेस और द्वारका में आउटलेट्स के साथ दिल्ली-एनसीआर में जाल फैल गया. 2017 के अंत तक कबीर ने 10 आउटलेट्स और खोले, चार फ्रेंचाइजी तक बढ़ाए.
सिंह ने 98 वर्गफीट के स्टोर से लेकर गुरुग्राम के गोल्फ कोर्स रोड पर मौजूद सनसिटी बिजनेस टावर का सफर तय कर लिया है.बर्गर सिंह के पास चिकन उड़ता पंजाब, अमृतसरी मुर्ग मखनी, चिकन युनाइटेड स्टेट्स ऑफ पंजाब और छोटू सिंह बर्गर नाम के शानदार बर्गर हैं. Burger Singh इंटरनेशनल ब्रांड्स के साथ प्रतिस्पर्धा करने वाला एकमात्र मेड-इन-इंडिया ब्रांड है.