लॉजिस्टिक्स के बिजनेस को तीन दोस्तों ने बनाया 1000 करोड़ की कंपनी मचाया धमाल | Porter logistics startup
Porter logistics startup की शुरुआत साल 2014 में प्रणव गोयल, उत्तम डिग्गा और विकास चौधरी ने की थी. इसी वजह से अपने यूनिक आइडिया से इनको बड़े बड़े इन्वेस्टर्स से भी फंडिंग हासिल हुई.
हम लोग जब भी मार्केट से कोई भारी सामान खरीदते हैं, तो अक्सर हमें उसे घर ले जाने के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. हमें आसानी से कोई रिक्शा, मिनी ट्रक या अन्य वाहन हमें नहीं मिल पाता है, जो उस सामान को घर तक सुरक्षित छोड़ सके. इसी समस्या को दूर करने के लेकर आए एक बिजनेस आइडिया ने Porter (पोर्टर) नाम के स्टार्टअप की स्थापना की. लोगों ने इस ऑनलाइन ऐप को हाथों हाथ लिया.
पोर्टर ऐप की सहायता से आप किसी भी प्रकार के सामान को बाइक या मिनी ट्रक के जरिए को उस स्थान पर आसानी से पहुंचा सकता है, जहां वो चाहते हैं. पोर्टर शहर के अंदर किसी भी जगह सामान डिलीवर करता है. इस ऐप की सहायता से आप ये भी ट्रेक कर सकते हैं कि सामान कहां तक पहुंचा है?
Porter ऐप क्यों है खास?|How Porter logistics startup is Special.
Porter logistics startup की बात करें तो ये एक इंट्रासिटी लॉजिस्टिक स्टार्टअप है. मौजूदा समय में ये देश का सबसे बड़ा इंट्रासिटी लोजिस्टिक्स मार्केटप्लेस है, जो आम लोगों के साथ-साथ बिजनेस करने वालों के प्रोडेक्ट को डिलीवर करता है. इस समय पोर्टर 16 शहरों में 50 लाख कस्टमर्स को सर्विस प्रदान कर रहा है. इसके प्लेटफॉर्म के जरिए 2 लाख ड्राइवर्स लगातार काम कर रहे हैं.
लॉजिस्टिक्स व्यवसाय में मुख्य रूप से कमीशन से कमाई होती है। चूंकि लॉजिस्टिक्स सेवाओं की मांग अधिक है। ऑनलाइन डिलीवरी को प्रमुखता मिलने के कारण कई कंपनियां मजबूत सप्लाई चेन बना रही हैं। यहां पोर्टर मार्केटप्लेस मॉडल के तहत काम करता है। जहां कोई भी ट्रक ड्राइवर पोर्टर के साथ साझेदारी कर सकता है। फिर ट्रक ड्राइवरों को उसके अनुसार यात्राएं मिलती हैं। इसलिए, ड्राइवरों को प्रत्येक यात्रा के लिए कुछ प्रतिशत कमीशन का भुगतान करना होगा।
हालाँकि, ड्राइवर 30% से अधिक कमाते हैं और यहाँ तक कि लोग पोर्टर ट्रकों की बुकिंग से 20% तक की बचत भी कर सकते हैं।
कैसे हुई Porter की शुरुआत?| How it started
मांग और आपूर्ति के बीच एक बड़ा अंतर रहा है। समस्या से निपटने के लिए 2014 में पोर्टर स्टार्टअप शुरू किया गया था।इसकी शुरुआत प्रणव गोयल, उत्तम डिग्गा और विकास चौधरी ने की जो की उबर बिजनेस मॉडल से प्रेरित हैं।
यहां पोर्टर छोटे से मध्यम उद्यमों को लॉजिस्टिक सेवाएं प्रदान करता है। प्रौद्योगिकी के साथ एकीकरण कंपनी के लिए अंतिम गेम-चेंजर है। यहां तक कि, पोर्टर उपभोक्ताओं को सेवाएं भी प्रदान करेगा। यहां लोग जरूरी रेंज के ट्रक बुक कर सकते हैं।
फिर उनसे दूरी के आधार पर उपभोक्ताओं से शुल्क लिया जा सकता है। यह ओला या उबर बिजनेस की तरह है जहां लोगों से गंतव्य के अनुसार शुल्क लिया जाता है। यहां तक कि पोर्टर स्टार्टअप दोपहिया वाहनों में छोटे पैकेज ले जाने के लिए भी सेवाएं प्रदान करता है। इसलिए, यह स्टार्टअप पिक एंड ड्रॉप सेवा का भी पता लगाने की कोशिश कर रहा है।
इस तरह, पोर्टर स्टार्टअप कहानी कई छोटे से मध्यम व्यवसायों को लॉजिस्टिक्स सेवाओं के साथ सशक्त बना रही है।
सबसे शक्तिशाली पहचान पोर्टर की अपने ऐप के साथ काम करने की तकनीक है।
Porter को कहां से फंडिंग मिली?|Funding of Porter logistics startup
पोर्टर में इस समय स्कोइआ कैपिटल, महिंद्रा ग्रुप, एलजीटी लाइटस्टोन, केए कैपिटल आदि कंपनियों ने निवेश किया हुआ है. साल 2021 में सीरीज E फंडिंग राउंड में पोर्टर को 750 करोड़ रूपये की फंडिंग मिली थी. पोर्टर का लक्ष्य है कि वो साल 2023 तक 35 से भी ज्यादा भारतीय शहरों में अपना कारोबार शुरू करे.