19 साल के दो दोस्तों ने बनाया 7000 करोड़ की कंपनी | ZEPTO
ZEPTO दोस्तों आज से 5 साल पहले किसी ने सपने में भी सोचा होगा कि ग्रोसरी जैसी चीज़ 10 मिनट में भी डिलिवरी की जा सकती है, लेकिन इसे पॉसिबल कर दिखाया zepto नाम की एक कंपनी ने, जिसकी वैल्यूएशन इस समय 7000 crore से ज्यादा है |
आपने बिल्कुल सही सुना है। असल में इस कंपनी की शुरुआत अप्रैल 2021 में दो दोस्तों आदित पालीचा और कैवल्य वोहरा ने मिलकर किया था, जो आज सिर्फ दो सालों में ही यूनिकॉर्न बनने के बेहद करीब पहुँच गई है।
साथ ही ये दोनों यूनिकॉर्न इंडेक्स 2022 के अकॉर्डिंग 1000 करोड़ क्लब में एंटर करने वाले youngest Indian entrepreneur भी बन गए हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि इन्हें ZEPTO शुरू करने का आइडिया कहाँ से आया ?
बिज़नेस मॉडल | ZEPTO BUSINESS MODEL
इनका बिज़नेस मॉडल क्या है और कैसे इन्होंने 10 मिनट में ग्रोसरी डिलिवर को पॉसिबल करके दिखाया ।
दोस्तों अगर हम इंडियन ई कॉमर्स की बात करें तो यहाँ सबसे पहले FLIPKART आया जिसने डोर स्टेप डिलिवरी को इंडिया में फेमस कर दिया इसके बाद BIGBASKET ने भी बदलाव किया और एक स्पेसिफिक डे के अंडर ग्रोस्री डिलिवर करना शुरू किया। लेकिन zepto ने 10 मिनिट का डेलिवरी टाइम बनाकर इन सबको मात दे दिया और इसमें प्रॉडक्ट डेलिवरी की पूरी की पूरी परिभाषा को ही बदल कर रख दिया।
इस रेवोल्यूशनरी कम्पनीज़ को शुरू करने का आइडिया आया कहाँ से?
असल में ZEPTO के सह-संस्थापक(co-founders) आदित पालीचा और कैवल्य वोहरा दोनों ही बचपन के दोस्त है, वैसे तो ये मुंबई से बिलॉन्ग करते हैं, लेकिन इनका ज्यादातर बचपन दुबई में गुजरा। अब इतेफाक की बात थी कि आदित पालीचा और कैवल्य वोहरा ,दोनों मुंबई के निवासी थे, लेकिन दुबई में रहते थे। दुबई के सेम स्कूल में पढ़े और इतना ही नहीं इन दोनों के ही FATHER ENGINEER थे। इसी तरह की समानता ने इनके बीच बहुत ही गहरी दोस्ती डेवलप करने में मदद की। दोनों टेक्नोलॉजी को लेकर बहुत ही ज्यादा enthusiastic (उत्साही) रहते थे ।
और बहुत ही ज्यादा एक्सपेरिमेंट करना पसंद था साथ ही क्रोम एक्सटेंशन, मोबाइल ऐप्लिकेशन या वेबसाइट जैसी चीजों में बहुत दिलचस्पी लेते थे। इसी वजह से आदित पालीचा और कैवल्य वोहरा ने कंप्यूटर साइंस से पढ़ाई करने के लिए स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में अप्लाई किया और लकली इसके लिए वो दोनों ही सिलैक्ट भी हो गए थोड़े टाइम तक स्टडी करने के बाद COVID कोविड आ गया इसके बाद दोनों मुंबई आ कर रहने लगे।
उस समय ये फैमिली से दूर अकेले समय बिता रहे थे और उस समय पूरी मार्केट ठप पड़ी हुई थी और अगर कुछ दुकाने खुल भी रही थी तो लोग COVID के डर से बाहर जाना ही नहीं चाह रहे थे।
ऐसे में इन दोनों ने ऑनलाइन ऑर्डर करना ज्यादा सुरक्षित समझा। लेकिन इसमें सबसे बड़ी दिक्कत ये थी की ऑनलाइन ऑर्डर करने के बाद ग्रोस्री की डिलिवरी में कभी कभी 6-7 दिन का टाइम लग जाता था, जिससे लोगों को बहुत ही ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता था। काफी लम्बा इंतजार करना पड़ता था अब इस तरह की परेशानियां दोनों फेस कर रहे थे। साथ ही उन्होंने देखा कि इसी तरह की परेशानी से इनके पड़ोसी भी गुजर रहे हैं और ऑनलाइन ग्रॉसरी डिलिवरी को लेकर बहुत ही ज्यादा डिसअप्पोइंट है ।
MASTER STROKE
इन चीजों को देखने के बाद इन्होंने इसका हल ढूंढने का सोचा और यहीं से शुरुआत हुई किराना कार्ट ( kiranakart) की ।उन्हें खुद ग्रोस्री डिलिवरी करने का आइडिया आया और अपने इस आइडिया पर काम करते हुए इन्होंने लोगों के घर पर सब्जियां और ग्रोसरी आइटम्स को डिलिवर करना शुरू कर दिया और यहीं से किराना कार्ट ( kiranakart) की शुरुआत हुई, जो लोकल स्टोर से जुड़कर काम करता था।
इस कंपनी ने 5 से 6 दिन के डिलीवरी टाइम में कटौती करके सिर्फ 45 मिनट कर दिया। यानी की जहाँ लोगों को उनके घरों पर आइटम्स एक हफ्ते में मिलते थे। अब वो सिर्फ 45 मिनट में मिलने लगे जो कि सच में एक बहुत ही अच्छी शुरुआत थी ।
किराना कार्ट ( kiranakart) के जरिये स्टार्टिंग में ये सिर्फ अपने आसपास के एरियाज में ही ग्रोस्री डिलिवर किया करते थे।लेकिन बढ़ती डिमांड की वजह से इन्होंने ज्यादा से ज्यादा लोगों तक ग्रोसरी पहुंचाने के लिए बहुत सारे डिलिवरी पार्टनर्स को भी हाइअर कर लिया।
जब उन्होंने कस्टमर से बात करके उनके एक्सपिरियंस को जानने की कोशिश की तो उन्हें पता चला कि लोग इससे बहुत ज्यादा सैटिस्फाइड नहीं है क्योंकि कई बार उन्हें गलत आइटम मिल जाता था। लेकिन उस समय मार्केट में ऐसा और कोई ऑप्शन अवेलेबल नहीं था जो 45 मिनट में grocery डिलिवर कर सके। इसीलिए कस्टमर्स अब भी किराना कार्ड का ही इस्तेमाल कर रहे थे। अब लोगों का कहना था कि अगर लॉकडाउन ओपन होगा तो शायद खराब user एक्सपिरियंस की वजह से वो इसका इस्तेमाल दोबारा कभी ना करे। अब ये जाने के बाद उसके को फाउंडर ने और भी ज्यादा डीपली जाकर कमियों को समझने की कोशिश की और लोगों को बेटर यूसर एक्स्पेन्स प्रोवाइड करने के लिए काफी कुछ बदलाव किए। बहुत सारे एक्सपेरिमेंट करने के बाद उन्होंने डार्क स्टोर मॉडल के साथ काम करना शुरू कर दिया। DARK स्टोर बेसिकली एक तरह के माइक्रो वेयर हाउस होते हैं।जो शहर के बीचोबीच बनाये जाते हैं।यहाँ पर बहुत सारे स्टोरेज सेल्स बने होते हैं जहाँ सामान स्टोर किया जाता है और इस डार्क स्टोर में किसी भी तरह के कस्टमर्स की एंट्री नहीं होती है बल्कि यह सिर्फ एम्पलॉईस को ही अंदर जाना अलाउड होता है। इन डार्क स्टोर के जरिए किराना कार्ड आसानी से लोगों तक उनकी जरूरत की चीजें पहुंचाने में कामयाब तो हुआ ही।इससे दूसरा फायदा ये हुआ की ग्रोसरी की डिलिवरी टाइम 45 मिनट से घटकर और भी कम हो गई। अब यही वजह थी कि किराना कार्ड पर की संख्या बहुत ही तेजी से बढ़ने लगी। उनके नेगेटिव रिव्यूज़ पॉज़िटिव फीडबैक में बदल गया है। अब इस सक्सेस के बाद दोनों को फाउंडर्स ने इस बिज़नेस को और एक लेवल आगे ले जाने के लिए कंपनी को रीवोल्ट किया, जिसमें कंपनी का नाम बदल दिया गया और इस तरह शुरुआत हुई ZEPTO की।
BUSSINESS MODEL
करेंट्ली ये सिर्फ इंडिया की 11 सिटीज में अपनी सर्विस दे रहे हैं। उसमें दिल्ली, चेन्नई, गुड़गांव, बेंगलुरु, मुंबई और हैदराबाद जैसे बड़े शहर आते है ।अब आपको जानकर हैरानी होगी कि ZEPTO को फिलहाल 10 मिलियन से भी ज्यादा लोग ग्रोसरी शॉपिंग के लिए इस्तेमाल करते हैं लेकिन क्या आपको पता है की ये कंपनी कौन से बिज़नेस मॉडल पर काम करती है और कैसे इसमें सिर्फ 10 मिनट में ग्रोसरी डिलिवरी को पॉसिबल कर दिखाया इसके बारे में जानते हैं। अब जैसे की हम पहले ही बता चूके हैं कंपनी ने बहुत सारे डार्क स्टोर बनाए ओपन किये हुए हैं। लेकिन इस डार्क स्टोर को भी बहुत ही तरीके से ऑपरेट किया जाता है। जैसे डेटा ऐनालिटिक्स (DATA ANALITYCIS) की मदद से ये देखा जाता है कि कौन कौन से प्रोडक्ट्स की डिमान्ड किन किन एरियाज़ में सबसे ज्यादा है और कौन से प्रोडक्ट्स की ऐवरेज या सबसे कम डिमांड है। इसे अनलयस करने के बाद सबसे ज्यादा ऑर्डर किये जाने वाले प्रोडक्ट्स को सही जगह पर रखते हैं जहाँ से एम्प्लोइस जल्दी ऐक्सेस कर सके। जब भी सेंटरों पर कोई ऑर्डर रिसीव होता है तो वो उस ऑर्डर की लोकेशन के अकॉर्डिंग जो भी उससे नियरेस्ट स्टोर होता है उस पर ट्रांसफर कर दिया जाता है। डार्क स्टोर में इस ऑर्डर डिटेल को देखने के बाद इसे सिर्फ एक मिनिट मे पैक करके डिलिवरी के लिए भेज दिया जाता है। ये क्रॉस रीपैकेजिंग इतनी फास्ट करते हैं कि इनका पैकेजिंग टाइम 57 सेकंड का है यानी एक मिनट से भी कम। लेकिन ग्रोसरी पैक करके डेलिवरी पर्सन को थमा देने तक ही इनका काम नहीं रहता।बल्कि ये उन्हें लोकेशन तक पहुंचने के लिए भी गाइड करते हैं और उन्हें बताते हैं कि कौन से रास्ते से वो जल्दी सामान को डिलिवर कर सकते हैं।
FUNDING
इस स्ट्रैटेजीज की वजह से आज 10 मिनट की डिलिवरी को पॉसिबल करके देखा है और आपको जानकर हैरानी होगी कि कभी कभी 7 मिनट में भी डिलिवर कर देते हैं और यही रीज़न है की शुरुआत के छे महीने के अंदर ही ₹490 करोड़ की फंडिंग जुटा ली।
अगर हम कंपनी की वैल्यूएशन की बात करें तो वो 6895 करोड़ रुपए से भी ज्यादा है और आज इसके पास 86 डार्क स्टोर है, जिनके जरिये 2022 में , आइस और सॉफ्ट ड्रिंक्स जैसे आइटम्स और मिनिट 120 से भी ज्यादा डिलिवर कर रहे थे। इग्ज़ैक्ट तो अपनी कमाल की स्ट्रैटिजी जिसकी वजह से आज स्विगी, जोमैटो, ऐमजॉन और फ्लिपकार्ट जैसे बड़े खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा (COMPETE) कर रहा है, हालांकि अभी यह उनकी तरह इंडिया के हर लोकेशन पे अवेलेबल नहीं है, लेकिन इसके को फाउंडर (CO-FOUNDER) का प्लान है कि आने वाले कुछ सालों में वो 100 से भी ज्यादा पिन कोड पर इसकी सर्विस अवेलेबल करवा देंगे।
अगर ऐसा हो जाता है तो कुछ गिने चुने एरिया से निकलकर ऑल ओवर इंडिया में भी अपने कॉंपिटिटर्स (COMPETITOR) को टक्कर देता हुआ नजर आएगा। साथ ही हम और आप जैसे छोटे शहर में रहने वाले उपयोगकर्ता 10 मिनट क्रॉस डिलिवरी का experience ले पायेंगे ।
COMPANY NAME | ZEPTO |
COMPANY URL | www.zeptonow.com |
FOUNDED YEAR | 2021 |
FUNDING | $366.5 million (2022) |
CATEGORY | E-COMMERCE, FOOD |